Quantcast
Channel: Entertainment Archives - BeyondHeadlines
Viewing all articles
Browse latest Browse all 84

गोविंदा ने क़ादर ख़ान के बेटे सरफ़राज़ को बताया बच्चा, लेकिन यहां जानिए असल हक़ीक़त…

$
0
0

Utkarsh Gaharwar for BeyondHeadlines

‘दुःख जब हमारी कहानी सुनता है तो खुद दुःख को दुःख होता है.’ बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी फ़िल्म का यह डायलॉग कहीं न कहीं क़ादर ख़ान साहब की ज़िन्दगी में भी इसी तरह चोट करता रहा.

प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित यह मशहूर कलाकार 16-17 हफ़्तों के कड़े संघर्ष के बाद 31 दिसम्बर को हमें अलविदा कह गए. यूं तो उनकी मौत से दो दिन पहले अफ़वाह भी उड़ी और ऑल इंडिया रेडियो को मौत की ख़बर देने की इतनी जल्दी रही कि उन्होंने इसे ट्वीट भी कर दिया. वो तो भला हो क़ादर खान के बेटे सरफ़राज़ खान का, जिन्होंने इसकी पुष्टि की और इसे झूठी ख़बर बताया. लेकिन दो दिन बाद ही यह बात सच साबित हुई और क़रीब 300 फ़िल्मों में काम कर चुके एवं 250 फ़िल्मों में संवाद लिखने वाले महान अदाकार क़ादर खान हमें हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर चले गए.

70 के दशक में अपना करियर शुरू करने वाले क़ादर ने यूं तो कई फ़िल्मों में संवाद और अभिनय किया, पर उनकी अमिताभ बच्चन और गोविंदा के साथ जोड़ी ज़्यादा चर्चित रही. अपने अंतिम दिनों में भी वो इन्हीं दोनों को याद करते रहे.

हमारे बॉलीवुड के कड़वे सच को क़ादर खान साहब ने जीते जी भी दिखाया और मरने के बाद भी दिखा गए. बॉलीवुड से कई साल पहले दूरी बना चुके क़ादर ख़ान इतने दिनों तक कहां थे, ये आम जनता को कभी पता न चला. 2017 में अपनी बीमारी के लिए कनाडा आए और यहीं बस गए और यहीं से इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा भी कह गए.

ग़ौर करने वाली बात ये है कि जब क़ादर खान अपने मुश्किल दौर से गुज़र रहे थे, तब कोई भी बॉलीवुड से उनकी ख़बर लेने तक को नहीं आया. यही इस फ़िल्म इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाई है. ऐसे कई उदाहरण हम पहले भी देख चुके हैं.

एक आरोप के मुताबिक़ गोविंदा, जिन्होंने क़ादर ख़ान को अपना ‘पिता तुल्य’ का दर्जा दिया, ने भी कभी हालचाल जानना ज़रुरी नहीं समझा. ये आरोप बॉलीवुड के किसी हस्ती ने नहीं, बल्कि खुद क़ादर ख़ान के बेटे सरफ़राज़ ख़ान ने लगाया है. उनका कहना है —“गोविंदा को जाकर कोई उनसे पूछे कि कब-कब उन्होंने हमारे वालिद का हाल जाना और उनकी मौत के बाद एक फ़ोन भी किया?” हालांकि इस आरोप पर गोविंदा ने चुप्पी तोड़ी है और इस पर कुछ बोलने के बजाए सरफ़राज़ के बारे में कहा कि वो अभी बच्चे हैं. मुझे ऐसा लगता है कि मुझे इस पर कमेंट नहीं करना चाहिए.

अब गोविंदा भले ही सरफ़राज़ खान को बच्चा मानें, लेकिन सरफ़राज़ की बातें काफ़ी हद तक बॉलीवुड की सच्चाई बताने के लिए काफ़ी हैं. सरफ़राज़ के मुताबिक़ —“इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री ऐसी ही हो गई है. इस इंडस्ट्री में कई सारे कैम्प बन गए हैं. लोग बंट गए हैं. कहा जाता है, जो चीज़ नज़र से बाहर हो जाती है, वो ज़ेहन से भी बाहर हो जाती है और ऐसी मानसिकता का कुछ किया भी नहीं जा सकता.”

हालांकि उन्होंने आगे भी अपने पिता को याद करते हुए बताया कि उनके वालिद ने हमेशा अमिताभ जी को याद किया और अंतिम सांस तक उनका नाम लेते रहे. बात यहीं नहीं रूकी. उन्होंने बताया कि कैसे एक बार अमिताभ जी को “सर” न कहना  उनके वालिद को भारी पड़ा था.

खुद क़ादर खान साहब को भी किसी से उम्मीद नहीं थी क्योंकि उन्हें अपने सीनियर के साथ हुए बर्ताव याद थे. शक्ति कपूर का गुस्सा होना भी जायज़ था, पर यह एक अजीब व्यथा है कि आप जब तक स्वस्थ हो, सब पूछते हैं पर एक बार आप थोड़ा अस्वस्थ या नाम नहीं कमा पाते हो तो कोई भी आपको नहीं पूछता.

यही सब क़ादर खान साहब के साथ भी हुआ. उनके जाते ही जैसे सोशल मीडिया में श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया. जिन्होंने आज तक उनका हाल भी नहीं पूछा कि वो ज़िन्दा भी हैं कि गुज़र गए. उन सबको एक दिन में ही ‘पिता तुल्य’ और ‘अच्छे इंसान’ लग गए. काश ज़िन्दा होने पर उनका हाल जानने ये शोकाकुल लोग पहुंचते तो बेहतर होता और उन्हें ख़ुशी भी होती.

हद तो यह भी है कि उन्हें भारत वापस लाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं हुआ और कनाडा में ही क़ादर खान सुपुर्द-ए-ख़ाक हो गए. ऐसे लोगों के लिए एक ही लाइन कहना होगा —“अब याद किया तो क्यों किया?”

(लेखक अमिटी स्कूल ऑफ़ कम्यूनिकेशन में जर्नलिज़्म के छात्र हैं.)


Viewing all articles
Browse latest Browse all 84

Trending Articles